भारत के संविधान के अनुच्छेद 267 के अनुसार आकस्मिकता निधि का गठन किया गया है। यह निधि अग्रदाय प्रकृति की है। अर्थात इस निधि से धन खर्च करने के बाद पुनः प्रतिपूर्ति की जाती है। इस निधि से खर्च आकस्मिक कार्यों या ऐसी नई सेवा पर किया जाता है जिसका प्रावधान बजट में नहीं किया गया है। इस निधि से खर्च करने के बाद संसद से स्वीकृति लेकर उतनी ही राशि से समेकित निधि से प्रतिपूर्ति की जाती है। रेल के संबंध में इस तरह के व्यय वित्त आयुक्त के अधिकार में है। रेलों द्वारा अपेक्षित अग्रिमों के सम्बन्ध में आवदेन-पत्र वित्त आयुक्त रेलवे को भेजे जाएंगे, जिनमें निम्नलिखित ब्यौरा दिया जायेगा: (i) होने वाले व्यय का संक्षिप्त विवरण। (ii) वे परिस्थियां जिनके कारण बजट में इस खर्च का प्रावधान नहीं किया जा सका। (iii) इस खर्च को रोकना संभव क्यों नहीं है। (iv) पूरे साल या उसके कुछ भाग के लिए, जैसी भी स्थिति हो, प्रस्ताव की पूरी लागत देते हुए, निधि से अग्रिम देने के लिए अपेक्षित रकम और (v) वह अनुदान या विनियोग जिसके अधीन अनुपूरक व्यवस्था पुनः प्राप्त किया जा सकता है। अग्रिम की मंजूरी के आदेश की एक प्रति जिसमें रकम, वह अनुदान या विनियोग जिससे यह संबंधित है तथा उप-शीर्षवार संक्षिप्त विवरण और जिस खर्च को पूरा करने के लिए यह किया गया है उसके विनियोगों की यूनिटें दिखाई जाएगी जिसे संबंधित लेखा परीक्षा अधिकारी को भेजी जाएगी। इसके अलावा वित्त आयुक्त रेलवे द्वारा ऐसे आदेशों की प्रतियां अपर उप नियंत्रक महालेखापरीक्षक (रेलवे) को भेजी जाएगी।